आत्मा की चाहतें, जीभ पर उतर न सकने वाली

कभी-कभी {हमारे{उनकीये दिल में बहती है एक ऐसी उमंग जो, शब्दों में नहीं आ पाती। यह भावना अंदर ही अंदर गूंजती रहती है, लेकिन जुबान पर पलटकर कहने का साहस कमजोर {होतारहताहै .

{यह{वोइस उमंग, जो आंखों में दिखाई दे सकती है, मुस्कान में छिपाई जा सकती है, लेकिन शब्दों में नहीं। यह एक ऐसी पहेली है जिसे सुलझाने का प्रयास हमेशा करते रहते हैं।

यह उमंग हमें

{प्रेरणा{आनंदखुशी देती है और हमारे जीवन को रंगीन बनाती है। यह वह अदृश्य बंधन है जो दो दिलों को एक कर सकता है।

बदले की आग शब्दों में उभरती हैं

एक संदेश का निर्णायक प्रभाव होता है। जब वह जीवंत रूप से प्रकट है, तो यह एक सार्थक असर छोड़ सकता है। हमें अक्सर देखने को मिलता है कि नफ़रत शब्दों के माध्यम से ही प्रकट है। ये कथन दूसरों के साथ बांधने का रास्ता नहीं हैं।

छिपी हुई रचना दिल का गहरा दर्द

हर संवेदना में बसता है वो दर्द , जो शब्दों से छिपा रहता है. निष्क्रिय रात में, ह्रदय का वो चुप्पी बढ़ती जाती है. जैसे एक दुख, जिसका कोई इलाज नहीं . उसे

गुस्से की कविताएं: जब उग्र भावना आत्मा में समा जाती है

खफा शायरी, वो कलम का तीर होता है जो दिल के गहराई तक जाता है । जब गुस्सा इतना प्रबल हो जाता है कि वो रूह तक पहुँच जाता है, तब मौन का जाल टूटता है । more info

  • संवेदनाओं की चरम सीमा पर स्थित भावनाएं इसे उकेरती हैं।
  • ये कविताएँ विद्रोह का प्रतीक होती हैं
  • आँखों में एक झलक इस रूह को और भी खतरनाक रूप से

जब बोल न हो सके तो लिख दिया

कुछ बातें हैं जो मन में इतनी गहराई से बसती हैं कि उच्चारण पर निकलना मुश्किल हो जाती है। तभी तो कहते हैं, "जुबान पर नहीं कह पाए तो लिख दिया"।

यह एक भावना है जो हर किसी के रुझान में छिपी होती है। कुछ बातें डर से घिरी रहती हैं, उनका घेराव तोड़ना मुश्किल होता है और फिर पत्रकारिता ही उन बातों का प्रकाश बन जाती है।

एक कलम की चमक, शब्दों का संगम, ये सब मिलकर एक अनोखा सौंदर्य बनाता है।

भाषाओं में छिपी खुशियों की कमी

पहले कुछ समय से, हम एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहाँ दुनिया अत्यंत तेज़ी से बदल रही है। यह बदलाव तो अच्छा ही है लेकिन साथ ही साथ यह हमें अपने अंदर छिपी खुशियों से भी दूर कर रहा है। दुनिया को समझने की हमारी कला धीरे-धीरे बदल रही है।

जैसे हमारी भाषाएं में भावनाओं का अभाव दिखाई देती है। यह एक चिंताजनक स्थिति है क्योंकि यह हमें खुद से अलग करती है।

जब हम अपने आभार को शब्दों में व्यक्त नहीं करते हैं तो यह हमारे अंदर ही मंद हो जाता है और हमारी खुशी भी कम होती जाती है।

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